રવિવાર, 5 એપ્રિલ, 2015

दिल तलक जाना है...

उसके घर तलक नहीं, हमें दिल तलक जाना है।
पहुंच गये एक बार तो लोटके न कभी आना है ॥

कोन समजेगा बात हमारी आपके शहरमें सनम?
जो कोई हमे  मिलता वो आपका ही दिवाना है ॥

जाये तो कहां जाये कौन बतलायेगा अब हमें ये ?
एक तरफ मंदिर है तो दूसरी ओर मयखाना है ॥

क्यासे क्या हो गया एक पलमें क्या बताउं यार?
जो था कल तक अपना, वो ही आज बेगाना है ॥

इश्क  प्यार मुहब्ब्त दिल्लगी  आशनाई  क्या है?
जो न कभी समज आये यह ऐसा एक अफसाना है।

अब तो फेंक दो तुम यारो मेरे घरके सभी आईने।
जालीम कहेते है हमे अब तेरा ये चहेरा पुराना है॥

राह लंबी है, न कोई राहगीर, न है कोई दिलबर ।
कटेगी कैसे राह-ए-जिंदगी?  दूर दूर वीराना है ॥

तेरा भी यह क्या हाल हो गया नटवर बस युं हि?
जो समजा न तु कभी,  उसे सबको समजाना है ॥

(क्षमा करना यारो हमें। हमारी हिन्दी रचनामें वर्तनी दोष होनेकी संभावना है।)

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