ये प्यार करनेवालेभी बहुत ही अजीब होते है।
हो चाहे वो कोसो दूर, दिलोसे करीब होते है॥
मिलता रहेता हुं में जहांमे सबसे संभालकर ।
जो लगते अपने अजीज,वो ही रक़ीब होते है॥
हो चाहे वो कोसो दूर, दिलोसे करीब होते है॥
मिलता रहेता हुं में जहांमे सबसे संभालकर ।
जो लगते अपने अजीज,वो ही रक़ीब होते है॥
दिलकी बात तो कोई दिलदार ही समजता है।
दिलोके शहेंशाह है वो अकसर गरीब होते है॥
अपना गम लेके अब कहीं ओर जाया जाये॥
यहां तो सबके खंधे पर अपने सलीब होते है॥
खुदा सजा देता है कुछ लकीर अपने हाथोमें।
किसी गैरके हाथोमें ही अपने नसीब होते है॥
तन्हा जीनाभी मजा देता है आलम-ए-इश्कमें।
कुछ यादोके सायेही इस दोरमें हबीब होते है॥
सारे दर्द कभी कभी युं ही मिट जाते है यार।
गूजरते हूए हरेक पल नटवर, तबीब होते है॥
(रक़ीब = दुश्मन, मुख़ालिफ़; सलीब= क्रूस –जीस पर ईसामसीको चढाया गया था, Cross)
दिलोके शहेंशाह है वो अकसर गरीब होते है॥
अपना गम लेके अब कहीं ओर जाया जाये॥
यहां तो सबके खंधे पर अपने सलीब होते है॥
खुदा सजा देता है कुछ लकीर अपने हाथोमें।
किसी गैरके हाथोमें ही अपने नसीब होते है॥
तन्हा जीनाभी मजा देता है आलम-ए-इश्कमें।
कुछ यादोके सायेही इस दोरमें हबीब होते है॥
सारे दर्द कभी कभी युं ही मिट जाते है यार।
गूजरते हूए हरेक पल नटवर, तबीब होते है॥
(रक़ीब = दुश्मन, मुख़ालिफ़; सलीब= क्रूस –जीस पर ईसामसीको चढाया गया था, Cross)
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