दास्तान-
ए- जिंदगी क्या सुनाये हम जमानेसे?
ज़ख़्म- ए- दिल उभर आये फिर बहार आनेसे॥
ज़ख़्म- ए- दिल उभर आये फिर बहार आनेसे॥
रूके
रूकेसे हमारे कदम रूकके बार चलते रहे ।
जिंदगी रुक नहीं जाती किसेके युं चले जानेसे॥
हो शके तो यारो हमको आप माफ कर देना ।
अभी अभी ही हम उठकर आये है मयखानेसे॥
जिंदगी रुक नहीं जाती किसेके युं चले जानेसे॥
हो शके तो यारो हमको आप माफ कर देना ।
अभी अभी ही हम उठकर आये है मयखानेसे॥
अपने
आपको ही देखकर हैरान रहेते हे हमभी ।
कई बार हम खुदको मिलते है एक अंजानेसे ॥
कई बार हम खुदको मिलते है एक अंजानेसे ॥
कहेना
तो बहुत है मगर कैसे कहे हम उनको ?
ज़बां रूक जाती है आते देखकर उनको सामनेसे॥
ज़बां रूक जाती है आते देखकर उनको सामनेसे॥
इश्क़ न
होता तो कोई ओर गम तो होनाही था ।
तन्हा तन्हा रहेना था हमे तो किसीभी बहानेसे॥
तन्हा तन्हा रहेना था हमे तो किसीभी बहानेसे॥
एकको
ढूँढो तो यहां लाख मिल जाते है नटवर ।
ये यही दुनिया है,जहां कई है तेरे जैसे दिवानेसे॥।
ये यही दुनिया है,जहां कई है तेरे जैसे दिवानेसे॥।
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