રવિવાર, 9 જૂન, 2013

कोई हमें दवा देता है...

ज़हर देता है हमें तो कोई हमें दवा देता है।
जो मिलता है वो आगको जैसे हवा देता है॥

कमबख्त अपना दर्द-ए-जिगरभी कमाल है।
यह दर्द भी कैसा है जो हमें मजा देता है!!

कहते है कि यह जिंदगी तो देन है खुदाकी।
ओर वही अपना ही खुदा हमें कजा देता है॥

जिंदा हे हम तो ऐसे, गम- ए- जिंदगी नहिं।
हसीं खयाल किसीका जिनेकी वजा देता है॥

किया है हमनेभी एक गुन्हा इश्क करनेका।
देखना है हमारा मुंसिफ़ क्या सजा देता है?

दिल ज़िद्दी है हमारा कि मानता हि नटवर।
करता हे जो बेवफ़ा उनको ही वफ़ा देता है॥

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