મંગળવાર, 17 મે, 2016

आओ।

में अगर रूठ गया हुं, कभी मनानेके लिए आओ।
आपको याद करता हुं, कभी भुलानेके लिए आओ॥

कुछ कमसीन जखम अब दर्द नहीं देता है मुझे।
अब आप उस पर  नमक लगानेके लिए आओ ॥

कुछ तो लोग कहेंगे अपने नाकाम ईश्कके बारेमें।
मेरे खातिर न सहि, जालिम जमानेके लिए आओ॥

परवाना हुं तो जलकर राख होना ही नसीब मेरा।
इस तुफानी रातमें एक शमा जलानेके लिए आओ॥

जिंदगी संवर जायेगी,बात बन जाएगी बनते बनते।
कभी सनम, एक बार आकर न जानेके लिए आओ॥

दिन युं ही कटता नहीं, रात हमारी युं गुजरती नहीं।
सुनी सुनी आंखोमें हसीन सपने सजानेके लिए आओ॥

दिल बडा अडियल हे नटवरका कि मानता ही नहीं।
अब मेरे दिल -ए- नादानको समजानेके लिए आओ॥

माफ करना हमे यारो, हमारी हीन्दी रचनाओमें वर्तनी दोष होनेकी संभावना है।

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