રવિવાર, 23 ઑગસ્ટ, 2015

बदल जाए तो अच्छा॥

जादू हमारे इश्कका उन परभी चल जाए तो अच्छा।
दिल उनका इस तरहसे कुछ बहल जाए तो अच्छा॥

वो आए बीमार-ए-मोहब्बतकी चोखट पर खबर लेने।
और हमारा दमभी उसी पल निकल जाए तो अच्छा॥

हर सुबह हो ह्मारी उनकी हसीन सुरत देख देख कर।
दो नशीली आंखोमें सूरज हमारा ढल जाए तो अच्छा॥

बिन पीये ही कदम हमारे वेवजह लडखडाते रहेते है।
कुछ जाम पीकर कदम हमारे संभल जाए तो अच्छा॥

दिन कटता नहीं उनके बिना, रात कटती नहीं तन्हा।
अब ये आलम-ए-तन्हाइ हमे निगल जाए तो अच्छा॥

हो गया बेवफा आईना हमारा,अब हमें पहेचानता नहीं।
शकल हमारी अब किसी तरहसे बदल जाए तो अच्छा॥

ये दरद-ए-इश्क संभालके कब तक रखना पडेगा नटवर?
थोडासा अब येभी अश्कके पानीमें गल जाए तो अच्छा॥

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