अब तो न दिन होता है, न अब रात होती है।
अब तो अश्क बिना ही हमारी आंख रोती है॥
हाथकी इन लकिरोमें बंध करके रखा है नसीब।
किस्मत वैसी है की जो प्यारे है उसे खोती है॥
हमारी आंखोसे नीकले तो वो नमकीन पानी है।
अँसुवन उनकी आंखोसे बरसे तो वह मोती है॥
हम भी है मजबूर इधर, वो रहेती परेशां उधर।
यादमें हमारी वो रोज अश्कके मोती पिरोती है॥
हम ख़ुशनसीब है, उनकी आसपास जो रहेते है।
तस्वीर हमारी तकियेके नीचे रखकर वो सोती है॥
सिनेसे लगा रखी हमने जो हमें बहुत अज़ीज़ है।
सब छोड गये, साथ हमारे तन्हाई एकलौती है॥
न पूछो यार, जी रहा कैसे नटवर अपनी जिंदगी।
उनके साथ बिना जिंदगानी जैसे एक पनोति है॥
क्षमा करना यारो,
हमारी हिन्दी रचनामें वर्तनीदोष होनेकि संभावना है।
अब तो अश्क बिना ही हमारी आंख रोती है॥
हाथकी इन लकिरोमें बंध करके रखा है नसीब।
किस्मत वैसी है की जो प्यारे है उसे खोती है॥
हमारी आंखोसे नीकले तो वो नमकीन पानी है।
अँसुवन उनकी आंखोसे बरसे तो वह मोती है॥
हम भी है मजबूर इधर, वो रहेती परेशां उधर।
यादमें हमारी वो रोज अश्कके मोती पिरोती है॥
हम ख़ुशनसीब है, उनकी आसपास जो रहेते है।
तस्वीर हमारी तकियेके नीचे रखकर वो सोती है॥
सिनेसे लगा रखी हमने जो हमें बहुत अज़ीज़ है।
सब छोड गये, साथ हमारे तन्हाई एकलौती है॥
न पूछो यार, जी रहा कैसे नटवर अपनी जिंदगी।
उनके साथ बिना जिंदगानी जैसे एक पनोति है॥
क्षमा करना यारो,
हमारी हिन्दी रचनामें वर्तनीदोष होनेकि संभावना है।
Very Good !
જવાબ આપોકાઢી નાખોઆઓ મિલકર સંકલ્પ કરે,જન-જન તક ગુજનાગરી લિપિ પહુચાએંગે,
સીખ, બોલ, લિખ કર કે,
ગુજરાતી કા માન બઢાએંગે.
ઔર ભાષા કી સરલતા દિખાયેંગે .
બોલો હિન્દી લેકિન લિખો સર્વ શ્રેષ્ટ નુક્તા / શિરોરેખા મુક્ત ગુજનાગરી લિપિમેં !
ક્યા દેવનાગરી કા વર્તમાનરૂપ ગુજનાગરી નહીં હૈ ?
હિન્દી સરલીકરણ :
https://groups.google.com/forum/?fromgroups=#!topic/hindishikshakbandhu/uFkUOSZ5kK8
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