सनम
मेरे, आपसे न कोई शिकवा न कोई शिकायत है।
जखम मीले हमें या मरहम, सब आपकी हि इनायत है॥
जखम मीले हमें या मरहम, सब आपकी हि इनायत है॥
हमारा
दिल हमारा है फिर भी हमारा कहा मानता नहीं।
जैसाभी है वैसा,लगता है वो भी आपकी ही रियासत है॥
सनम, न तो आपने कहा कुछ, न तो हमने सूना कुछ।
आप तो आप है,और हम रहे हम,यह हमारी मुरव्वत है॥
न हो चाहत आपको हमसें तो कोई गीला नही होगा हमें।
बस कभीभी मत कहेना सनम, आपको हमसे नफरत है॥
जैसाभी है वैसा,लगता है वो भी आपकी ही रियासत है॥
सनम, न तो आपने कहा कुछ, न तो हमने सूना कुछ।
आप तो आप है,और हम रहे हम,यह हमारी मुरव्वत है॥
न हो चाहत आपको हमसें तो कोई गीला नही होगा हमें।
बस कभीभी मत कहेना सनम, आपको हमसे नफरत है॥
कहेना
गलत गलत,छुपाना सही सही,यह तो नहीं है सही।
गलत तो गलत सही,एक बार कहे दो हमसे मुहब्बत है॥
गलत तो गलत सही,एक बार कहे दो हमसे मुहब्बत है॥
आप
तो हमारे बिना जी लेंगे सनम, क्या होगा हमारा?
हम तो मर ही जायेगें आपके बिना,हमें यही दहशत है॥
यह कुछ नजम,कुछ गजल, कुछ नगमे नटवरके क्या है?
मेरे रूठे हूए सनम,आपको मनानेके लिये एक रिश्वत है॥
हम तो मर ही जायेगें आपके बिना,हमें यही दहशत है॥
यह कुछ नजम,कुछ गजल, कुछ नगमे नटवरके क्या है?
मेरे रूठे हूए सनम,आपको मनानेके लिये एक रिश्वत है॥
(मुरव्वत=शरम, स्वभावतः संकोच, दहशत= भय,शंका)
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