શનિવાર, 16 નવેમ્બર, 2013

ये ज़रूरी नहिं।

हर रंगीन सुबहकी गमगीन हो हर शाम ये ज़रूरी नहिं।
हमको आये हिचकी कोई ले हमारा नाम ये ज़रूरी नहिं॥

मीराभी है माधवकी दिवानी पीया जिसने जहरका प्याला।
तो फिर यारो, सिर्फ राधाका ही हो श्याम ये ज़रूरी नहिं॥

कितनी सारी बाते आंखो आंखोंमें होनेके लिये ही होती है।
वही बाते यह बेरहम जहांमें हो सर-ए-आम ये ज़रूरी नहिं॥

मयखानामें आते हम तो साकी तेरे हुस्नके दिदारके लिये।
हमारे हाथोमें खाली या भरा हो एक जाम ये ज़रूरी नहिं॥

मिलना ही हमे तो कभी कभी ख्वाबोमें आ कर मिलो हमें।
अपनी हर मुलाकातका जुदाई ही हो अंजाम ये ज़रूरी नहिं॥

वो आते रहेते बार बार आंसू बहाने मना करने पर भी।
कबरमें सोकरभी यारो हमे मिले आराम ये ज़रूरी नहिं॥

आपने इश्कने बहुत मशहूर कर दिया हम जैसे बेगानेको।
आप तोडे हमारा दिल ओर हम हो बदनाम ये ज़रूरी नहिं॥

कहेते है दुनियामें हर चीज़ बिकती है, एक ख़रीदार चाहिये।
फिरभी प्यार भरे दिलका कोई चुकाये दाम ये ज़रूरी नहिं॥

अब जानेभी दो तुम यारोसिर्फ दिलही तूटा है नटवरका।
इस लिये गली गली  गाँव गाँव हो कोहराम ये ज़रूरी नहिं॥


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