શનિવાર, 24 ઑગસ્ટ, 2013

आदमी खिलौना है...

अब तो हमे न हसना है न रोना है।
वक़्तके हाथमें आदमी खिलौना है॥

वही सपना तूट कर बिखर जाता है।
सनम, जो सबसे प्यारा, सलोना है॥

रात क्या है सनम, तु ये क्या जाने?
तेरी यादमें मोती अश्कके पिरोना है।

दिल तूटता है तो आंखे क्युं रोती है?
दिलने पाया उसे आंखोको खोना है॥

तु कितनी भी कोशिष कर ले,दोस्त।
जिंदगीमें जो होना हे वो ही होना हे॥

अब चेनकी नींद आ जायेगी नटवर।
कफन तानके कबरमें जो सोना है॥

ટિપ્પણીઓ નથી:

ટિપ્પણી પોસ્ટ કરો

આપના હર સુચનો, કોમેન્ટસ આવકાર્ય છે. આપનો એ બદલ આભારી છું