રવિવાર, 9 જૂન, 2013

अश्क है हमे अज़ीज़ है।

अपनी आंखोके ये जो अश्क है हमे अज़ीज़ है।
क्यूंकि वो उन्हीकि दी हुई अनमोल चीज़ है॥

दिल तोड कर उसने कहा हमें आई एम सॉरी।
यही तो दोस्त मेरे उनकी कमसिन तमीज़ है॥

यह दिल हमारा धडकनेसेभी अब तो डरता है।
जबसे उनके दिलकी धडकोनेसे वो ख़ारिज है॥

दिन हमारा गुजरता नहिं तो रात कटती नहिं।
उनके युं जानेसे यह वक्तभी जैसे अपाहिज है॥

जाते जाते वो हमे एक अच्छी निशानी दे गये।
उनकी दि हुई तन्हाई अब तो हमारी कनीज़ है॥

अब हमें इस बेरहम जमानेसेके क्या डरना ??
जबकी गलेमें हमारे उनकी यादोका तावीज़ है॥

न करो फ़िक्र सनम आप अब इस नटवरकी॥
जिसका कोई नहिं उसका तो खुदा हाफ़िज़ है॥

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